आज मैं अपनी लेखनी से आपको एक शहर में ले जाने की कोशिश करना चाहूंगा । पढ़कर अच्छा लगे तो चेहरे पर मुस्कान तो आएगी ही , किंतु अच्छा न लगे तो यह सोच कर मुस्कुरा दीजिएगा की कोशिश अच्छी थी, पर मुस्कुराना जरूरी है । तो चलते हैं शहर, मनाली की ओर, और हम होंगे नेहरू कुंड के पास । हसीन वादियों में बसे इस शहर के आमंत्रण पर मैंने अपनी उपस्थिति दी और अब.............
मैं मनाली में हूं । झर झर करते इन झरनों का तेज बहाव मुझसे पूछ रहा है - तुम क्या हो ? क्या तुम्हारे जीवन में उतनी उथल-पुथल है जितनी मेरी इन धाराओं में है ?
मैं बर्फीली वादियों के बीच में भी हूं, वह पूछ रही हैं--- क्या तुम्हें भी उस आशा की किरण का इंतजार रहता है जैसे हमें सूर्य की किरण का ?
यहां की हवाओं में एक स्वतंत्रता है जो बार-बार यह कह गुजरती है -खुली हवाओं में खुल के सांस लेने के पैसे नहीं लगते । यहां के शांत स्थिर पर्वत हर उस बात , हर घटना के साक्षी हैं जो इनके सामने होती है और कहते हैं मन शांत और स्थिर हो तो तुम भी सब कुछ जान सकते हो । यहां का मदमस्त मौसम बस यह कहता है जीयो और जीवन को समझो । शहर के शोरगुल से दूर , चहल पहल से परे यह जगह सच में अनोखी है , अगर शोर है तो सिर्फ झरनों के बहाव का हवाओं का , और चहल पहल है तो हर उन प्रेमी दिलों की और जोखिम भरी जिंदगी का अनुभव करने वालों की । यहां राहों की जटिलता जरूर है पर तन और मन की नहीं ।
हम जो सपने देखें यदि वह सच्चाई में तब्दील हो जाए तो सपने और सच्चाई के फासले मिट जाते हैं और सपनों के सच होते हैं हमें सपनों में होने का सा एहसास होता है । अक्सर ऐसा ही होता है जो चीजें हमें अच्छी लगती है बहुत मुश्किल से हासिल होती है । यहां की हसीन वादियां यह सिखाती है की जिस प्रकार उनकी सुंदरता उनके बीच बैठे हुए झड़ने, वृक्षों की श्रृंखला और अन्य चीजों की वजह से होती है उसी प्रकार हमारा सुंदर होना इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे मन में क्या बसा है , क्या हमारे मन में पानी के बहाव सी मस्ती है या फिर पर्वत सी स्थिरता या हवाओं की स्वतंत्रता या फिर बर्फ की शीतलता ।
आज मेरी सोच यह सोचने पर मजबूर हो रही है कि यहां प्रकृति की विभिन्न धाराओं में बहने से स्वयम को कोई कैसे रोक सकता है ? यहां जिंदा रहने के लिए सोचना नहीं पड़ता यहां होना ही जिंदगी है । यहां होने पर किसी का पत्थर सा कठोर हृदय भी गुलाब की सी कोमलता से भर जाए ।
हो सकता है कि मेरी यह भावनाएं प्रकृति की इन कलात्मक क्रियाओं से प्रभावित हो किंतु जीवन का मतलब कभी-कभी सबके साथ होकर भी नहीं होने से पता चलता है।
भावनाओं के बहाव में बहना,
उस पल तक संभव नहीं है
जब तक हमें किसी विषय वस्तु से
मोह ना हो और मोह बढ़ते ही
बहाव अपनी गति पकड़ लेता है।
उस पल तक संभव नहीं है
जब तक हमें किसी विषय वस्तु से
मोह ना हो और मोह बढ़ते ही
बहाव अपनी गति पकड़ लेता है।
good talent bro...keepitup..
ReplyDeleteonly some people hav the talent of puting d heart on paper & u r 1 of them..jst keep going ahead
i know this is jst a drop of ur talent..
keep writing more &postng.
all d bst bro..
may god & all d blessing b wid u :-)
Thanks south superstar
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