Wednesday, 12 October 2016

ए दिल जरा संभल कर धड़का कर...

ए दिल जरा संभलकर  धड़का कर

 कहीं एहसास गुफ्तगू ना कर जाएं,

कि हमें इश्क ने घायल कर दिया है ।

ए दिल जरा संभल कर घड़का कर

कहीं निगाहें ख्वाबों से ना कह दे

कि वो दिलकश अदाएं किसकीं थी ?

ए दिल जरा संभलकर  धड़का कर

कहीं बेचैनी  नींद से यह ना कह दें

कि हमें उनसे रूबरू होने की ख्वाइश है ।

ए दिल , बस संभल जा..........

 कहीं   जुबान यह ना कह  दें

कि हमें उनसे मोहब्बत है...

कि हमें उनसे मोहब्बत है

और फिर हम उनकी एक झलक को भी तरस जाए...

बस संभल जा , ए दिल. ।

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