Tuesday, 20 September 2016

मेरी मां

                                मेरी मां

ममता का प्यारी सी मूरत है ,  मेरी मां।

प्यार की भोली सी सूरत है ,  मेरी मां ।

संगीत   मधुर  सी   है ,         मेरी मां ।

मां तेरा है हर रूप सुनहरा,

मेरे दिल पर रहता है , बस तेरा ही डेरा ।


भयभीत कभी भी मैं जो हुआ,

मां , तूने  भय को भी दूर किया ।

मां , तेरी ही आंचल में बचपन है बीता,

तेरे ही संग देखा  "सीता और गीता"   ।


जब भी तुम मुझे बचपन में कहानी सुनाती ,

उस रात नींद मुझे  मां खूब  ही  भाती  ।

नहीं भूला हूं  मां , मैं  अब भी तेरी वो चुटकुले ,

जिन से  फूटे थे  मेरे हंसी के  गुलगुले ।


जीने का तुमने राह सिखाया ,

मेरे हर जिद को तुमने सही दिशा दिखाया ।

पापा से तो मैं डरता था ,

सारी बातें तेरे सामने रखता था ।

मां जीवन में ऐसा मोड़ भी आया ,

 तुमसे कुछ वर्षों के  बिछड़न को पाया ,

शायद इसी पल ने मुझसे तोरा महत्व सिखाया ।

मां तेरी याद में जिस रात  मैं रोया था ,

उस रात ठीक से सो भी नहीं पाया था ,

बड़ी मुश्किल से दिल को मनाया था ,

खुद को बहुत ही अकेला भी पाया था ,

मैंने  भाग्य को कोसा भी कि क्यों मैं सैनिक स्कूल में आया था ।

 तुझ से बिछड़ने के हर पल ने मुझे सताया था  ।


आजकल मुझे मां सिर्फ तेरी आवाज ही संतुष्ट कर जाती हैं ,

फिर भी कभी-कभी तेरी याद बहुत आती है ।


मां तुम न पूरब हो , न पश्चिम हो ,

न उत्तर हो , न  दक्षिण हो ,

मां तुम तो मेरी देवी हो ।

     तुम तो मेरी देवी हो. ।

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