मेरी मां
ममता का प्यारी सी मूरत है , मेरी मां।
प्यार की भोली सी सूरत है , मेरी मां ।
संगीत मधुर सी है , मेरी मां ।
मां तेरा है हर रूप सुनहरा,
मेरे दिल पर रहता है , बस तेरा ही डेरा ।
भयभीत कभी भी मैं जो हुआ,
मां , तूने भय को भी दूर किया ।
मां , तेरी ही आंचल में बचपन है बीता,
तेरे ही संग देखा "सीता और गीता" ।
जब भी तुम मुझे बचपन में कहानी सुनाती ,
उस रात नींद मुझे मां खूब ही भाती ।
नहीं भूला हूं मां , मैं अब भी तेरी वो चुटकुले ,
जिन से फूटे थे मेरे हंसी के गुलगुले ।
जीने का तुमने राह सिखाया ,
मेरे हर जिद को तुमने सही दिशा दिखाया ।
पापा से तो मैं डरता था ,
सारी बातें तेरे सामने रखता था ।
मां जीवन में ऐसा मोड़ भी आया ,
तुमसे कुछ वर्षों के बिछड़न को पाया ,
शायद इसी पल ने मुझसे तोरा महत्व सिखाया ।
मां तेरी याद में जिस रात मैं रोया था ,
उस रात ठीक से सो भी नहीं पाया था ,
बड़ी मुश्किल से दिल को मनाया था ,
खुद को बहुत ही अकेला भी पाया था ,
मैंने भाग्य को कोसा भी कि क्यों मैं सैनिक स्कूल में आया था ।
तुझ से बिछड़ने के हर पल ने मुझे सताया था ।
आजकल मुझे मां सिर्फ तेरी आवाज ही संतुष्ट कर जाती हैं ,
फिर भी कभी-कभी तेरी याद बहुत आती है ।
मां तुम न पूरब हो , न पश्चिम हो ,
न उत्तर हो , न दक्षिण हो ,
मां तुम तो मेरी देवी हो ।
तुम तो मेरी देवी हो. ।
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