बहन , बचपन से शुरु करता हूं ,
हम लड़ते थे , झगड़ते थे ,
एक दूसरे की खूब शिकायतें करते थे ,
हमारे बीच दो पल की ही संधि होती ,
फिर हो जाता था विच्छेद ,
जाने क्यों था हमारे बीच इतना मत भेद ,
नानाजी ने कितना समझाया ,
फिर भी शायद मैं बेवकूफ समझ ना पाया ।
एहसास हुआ थोड़ा-थोड़ा जब तुमसे बिछड़ा ,
जब झगड़ने को कोई ना मिला ,
और जब पुस्तक में भाई बहन की पढ़ी कहानी ।
पिछले कुछ सालों से खुद को बहुत भाग्यवान समझता हूं ,
कि एक प्यारी सी बहना है ,
जाे अन्नु भैया , अन्नु भैया कहती है ,
और मेरे स्वप्नश्लोक में , ह्रदय लोक में रहती है ।
स्वप्नश्लोक में , ह्रदय लोक में रहती है ।
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